चेचक और खसरा क्या हैं, इनके बीच अंतर , लक्षण, प्रसार , उपचार और रोकथाम| What are Chickenpox and Measles, the difference, symptoms, spread, treatment and prevention

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चेचक और खसरा क्या हैं, इनके बीच अंतर , लक्षण, प्रसार , उपचार और रोकथाम (What are Chickenpox and Measles, the difference, symptoms, spread, treatment and prevention)-

हमारे शरीर में होने वाली बहुत सी ऐसी बीमारियाँ हैं, जो कभी बैक्टीरिया की वजह से होती हैं, या कभी वायरस या फिर फंगस की वजह से । कुछ बीमारियों को हम अपनी सतर्कता और वैक्सीन्स का डोज (Dose) लेकर खुद से दूर रख सकते हैं और उनसे बचाव कर सकते हैं । कई बार बीमारियाँ अलग -अलग होती हैं पर उनके लक्षण एक ही जैसे होते हैं, जिससे हमें उन्हें पहचाचने में दिक्कत होती है लेकिन कई बार हमारे लिए यह भी फायदेमंद होता है की अगर हमने किसी बीमारी के लिए वैक्सीन ली हुई है तो वह हमें दूसरी बीमारियों से भी बचा सकती है। इसलिए हम ऐसी ही दो बीमारियों के बारे में बात करेंगे जिनके लक्षण काफी हद तक समान हो सकते हैं, और उनके
रोकथाम के बारे में भी चर्चा करेंगे।

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चेचक और खसरा क्या है (What is chickenpox and Measles) –

चेचक और खसरा यह दोनों ही रोग मुख्यतः वायरस से होने वाला संक्रमण या रोग है जो वैरिसेला जोस्टर (varicella-zoster) नामक वायरस की वजह से होता है । चेचक एक बहुत ही संक्रामक रोग है मतलब इतना संक्रामक की अगर कोई व्यक्ति इससे संक्रमित है और वह पूरी तरह से अगर ठीक नहीं हुआ है और आपने उससे हाथ तक भी मिला लिया तो आप चेचक से संक्रमित हो सकते हैं और इसकी 99 प्रतिशत संभावना होती है। दूसरी ओर खसरा बच्चों में होने वाला सबसे सामान्य संक्रामक रोग है , लेकिन चेचक बच्चों से लेकर बड़े तक हर वर्ग के व्यक्ति को प्रभावित कर सकता है। दोनों ही संक्रामक रोग हैं, लेकिन खसरा बच्चों में काफी आम है और चेचक बहुत ही ज्यादा संक्रामक और खतरनाक भी है।

चेचक और खसरा में अंतर (Difference between chicken pox and measles)-

जैसे की मैंने पहले ही बताया की खसरा बच्चों में आम है , लेकिन खसरा और चेचक दोनों ही अपने में खतरनाक हैं , यह थोड़ी सी असावधानी बरतने से भी आपको संक्रमित कर सकता है। लेकिन इसके अलावा भी ऐसे कई अंतर हैं जिससे हम खसरा और चेचक में फर्क आसानी से समझ सकते हैं।

चेचक (Chickenpox) –

चेचक में सबसे पहले शरीर पर लाल चकते या दाने निकलने लगते हैं, जो आपको कई बार पिंपल की तरह या किसी कीड़े ने काट दिया है लगेगा, लेकिन यह दाने एक से दो, दो से तीन होने लगते हैं इसके बाद आपको बुखार आने लगेगा, जो 101 से 102 डिग्री सेल्सियस तक हो सकता है, साथ ही जो दाने आपको निकलें थे जो की निकलते वक्त तो लाल से लेकिन समय के साथ यह बड़े होने लगते हैं, और पूरे शरीर में फैल जाते हैं, यहाँ तक के चेहरे और गुप्तांग के आसपास भी हो जाते हैं और इसमें पानी जैसा पास जैसा द्रव्य भर जाता है , इसमें काफी दर्द और जलन होने लगती है। अगर आप चेचक से संक्रमित हैं तो आप बुखार के साथ -साथ दर्द से भी परेशान रहेंगे, यह दाने
काँटों जैसी चुभन जैसा महसूस कराते हैं, जिसकी वजह से ना आप सो सकते हैं ना बैठ सकते हैं। इसमें सर्दी, खाँसी , खराश या कफ जैसी कोई समस्या नहीं होती है और ना ही आँख आने जैसी (Conjuctiveitis)कोई समस्या होती है, लेकिन इसमें व्यक्ति को भूख लगना बंद हो जाती है, मानसिक तनाव या हेडेक और पूरे शरीर में कमजोरी और थकावट जैसी महसूस होती है। कई बार यह दाने या यूँ कह लें यह छालें मुंह में भी हो जाते हैं।

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चेचक की जीवन रेखा (Lifecycle) हमारे शरीर में लगभग 4 से 7 दिन हो सकती है, यह इस पर निर्भर करता है की संक्रमण कितना ज्यादा है।

खसरा (measles)-

खसरा में बच्चों को हाई ग्रेड फीवर मतलब बहुत ज्यादा बुखार हो सकता हाई जो की 102 से 104 डिग्री सेल्सियस हो सकता है। इसमें बच्चों को खाँसी, गले में खराश, सर्दी हो जाती है। इसमें शरीर में लाल सफेद चकत्ते या दाने (Rashes) निकल आते हैं जो की पूरे शरीर में फैल जाते हैं। इसमें भूख ना लगना , तनाव या थकावट जैसी कोई भी समस्या नहीं होती है। इसकी जीवन रेखा (Lifecycle)हमारे शरीर में लगभग 10 से 12 दिन हो सकती है ।

अब बात यह की गोरे व्यक्ति के शरीर में यह दाने लाल आसानी से दिख जाते हैं पर काले व्यक्ति के शरीर में लाल रंग नहीं उभर पाता है।

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लक्षण (Symptoms) –

चेचक (Chickenpox) –

बुखार,भूख ना लगना, थकावट , शरीर पर लाल दाने या फुंसी यह कुछ आम लक्षण हैं जो चेचक में दिखाई देते है।

खसरा (measles)-

नाक का बहना, खाँसी, गले में खराश, बुखार और पूरे शरीर में लाल सफेद चकत्ते दिखाई पड़ना

प्रसार (Spread) –

अब आप समझ ही गए होंगे की चेचक और खसरा में कुछ बिन्दुओं या लक्षणों का अंतर है , और अब हम देखेंगे की इसका प्रसार कैसे होता है-

चेचक का प्रसार –

चेचक का प्रसार किसी भी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से , दाने या बिल्सटर (Rashes or blister) के रिसाव के संपर्क में आने से, संक्रमित व्यक्ति के छिकने या खाँसने या उसके सलाइवा (Saliva) से भी हो सकता है। अतः इसे इस प्रकार समझा जा सकता है की किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से आप भी संक्रमण के शिकार हो सकते हैं।

इसी तरह बात करते हैं खसरा की तो क्योंकि यह एक स्वश्न तंत्र का संक्रमण है जिसमें सर्दी, खाँसी, नाक बहना और गले में खराश जैसी समस्या हो सकती है, जिससे यह खाँसने, छिकने, कफ , या खाँसने के बाद हाथ लगा कर छिकने और हाथ ना धोने के बाद किसी से हाथ मिला लेने से यह दूसरे को संक्रमित कर सकती है।

चेचक में दाने या चक्कत्ते होते हैं उनका निशान व्यक्ति के शरीर में कई बार कई सालों तक रह जाता है, और शरीर के किसी एक अंग में एक-दो दाग हमेशा स्थायी होते हैं, जो आपको हमेशा यह याद दिला देंगे की आप चेचक से संक्रमित हुये थे। कई बार यह दाग बिना किसी दवाई के या क्रीम के चले जाते हैं, लेकिन कई बार इनका उपयोग करना पड़ जाता है।

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उपचार और रोकथाम (Treatment and prevention)-

चेचक (Chickenpox)और खसरा ( Measles ) –

चेचक से बचाव की शुरुवात हमें अपने घर से ही करनी चाहिए मतलब घर पर साफ-सफाई का पूरा ध्यान रखें, हाथों को अच्छे से जरूर धोएँ, और अगर आपको लगता के आप चेचक संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आयें हैं तो कोशिश करें की नहाएँ , अपने आप को साफ सुथरा रखें और खाने से पहले तो हमेशा ही हाथ धोएँ।

इसी तरह खसरा की अगर बात करें तो इसमें तो किसी के खाँसने, छिकने से संक्रमित हो सकते हैं, तो सर्दी, खाँसी या खराश वाले मरीजों से दूर रहें, घर की साफ-सफाई का ध्यान रखें।

इसके अलावा अगर व्यक्ति संक्रमित हो जाए तो उसके लिए कुछ अन्य उपाय करने चाहिए जैसे की –

1.पानी का ज्यादा से ज्यादा सेवन करें।
2.ताजे फलों या उनके रसों का सेवन करें।
3.मिर्च-मसाले का सेवन पूरी तरह बंद कर दें, और छौंक लगाने वाली चीजों का सेवन ना करें, खासकर चेचक में तो बिलकुल नहीं। आप खिचड़ी खा सकते हैं, दलिया खा सकते हैं, लेकिन केवल पानी के साथ बना कर।
4.संक्रमित व्यक्ति को अलग कमरे में रखें, उसकी साफ-सफाई का ध्यान रखें, उसका साबुन, कपड़े या तौलिया स्वस्थ्य व्यक्ति को उपयोग में ना लाने दें, वरना इससे भी संक्रमण हो सकता है।
5.खाना सादा, आसानी से पचने वाला और पौष्टिक आहार से भरपूर होना चाहिए, क्योंकि इन रोगों में हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली काफी कमजोर हो जाती है, तो कोई भी ऐसी गलती ना हो जिससे हम अन्य रोग से पीड़ित हो जाएँ।
6.कभी भी चेचक में हुए फफोले (Blisters or red bumps) को छूना या फोड़ना नहीं चाहिए, ऐसा करने से यह फैलते हैं , संक्रमण और बढ़ता है और इसके निशान भी स्थायी हो सकते हैं, इसलिए कितनी
भी खुजली हो दर्द हो इसे हाथ से बिल्कुल ना छूएँ। अपने बिस्तर पर धार्मिक मान्यता के अनुसार कड़वी नीम की पत्तियाँ रखें, और हर रोज इसे बदलें।
7.रोज नहाएँ लेकिन किसी तरह के रासयानिक तत्व या साबुन का उपयोग ना करें, शरीर को रगड़ने या पोंछने से बचें, केवल पानी से नहाएँ।

टीके (वैक्सीन- Vaccine) से रोकथाम –

चेचक और खसरा दोनों के लिए बच्चों और बड़ों के लिए वैक्सीन उपलब्ध है, जिसे हमें निश्चित समय पर लगवा लेना चाहिए। हमें इसका टीका 12 से 15 साल के बीच लगवा लेना चाहिए। इसके बाद टीके की दूसरी डोज 4 से 6 साल के अंतराल में ले लेना चाहिए। बच्चों में खसरा की पहली खुराक के बाद वह लगभग 28 दिन बाद दूसरी खुराक ले सकते हैं। हर व्यक्ति को इस टीके को लेना चाहिए जिससे हम खसरा, कण्ठमाला, रूबेला और छोटी चेचक (measles, mumps, rubella, and varicella)जैसी बीमारियों से हमारा बचाव करती है। एक ही वैक्सीन आपको इतनी सारी बीमारियों से बचा सकती है , इसलिए इसे अवश्य लें।

दवाइयाँ (Medicines) –

वैसे तो इसके लिए कोई विशिष्ट प्रकार की दवाई नहीं बनी है, लेकिन चिकित्सक चेचक के लिए एसिक्लोवीर (Acyclovir) की टेबलेट उपयोग करने के लिए बोलते हैं, इसके अलावा बुखार के लिए पैरासीटामोल ( Paracetamol) भी उपयोग में ला सकते हैं। आप इसमें ओवर द काउंटर ड्रूग (Over the counter-OTC) उपयोग में ला सकते हैं मतलब जिसके लिए आपको किसी प्रकार के प्रिसकृपसन (Prescription) की जरूरत नहीं है, जैसे की पैरासीटामॉल, डाइक्लोफेनक (Paracetamol, diclofenac) इत्यादि। लेकिन जब भी आप एसिक्लोवीर (Acyclovir)जैसी एंटिबायोटिक्स का सेवन करें तो, चिकित्सक से परामर्श अवश्य लें, क्योंकि एंटिबायोटिक्स की मात्रा बहुत ही ज्यादा मायने रखती है , ताकि किसी प्रकार का कोई ऐडवर्स रिएक्शन मतलब प्रतिकूल प्रतिक्रिया(Adverse reaction) उत्पन्न ना हो।

चेचक और खसरा दोनों की संक्रामक रोग हैं, कुछ हद तक दोनों के लक्षण भी समान हो सकते हैं, लेकिन इनमें से कुछ लक्षण ऐसे भी जो एक दूसरे से बिल्कुल भिन्न हैं, जिससे हम इनको आसानी से पहचान सकते हैं और इनके प्रभाव से खुद बचने और दूसरों को बचाने के लिए सतर्क भी रह सकते हैं। हर व्यक्ति को यह ध्यान रखना चाहिए की अगर आप संक्रमित हैं और अच्छी तरह ठीक नहीं हुए हैं तो स्वस्थ व्यक्तियों से दूर रहें बाहर भी और घर में भी लोगों से दूरी बनाए रखें, ताकि जो कष्ट आप सह रहे हैं वो कोई दूसरा ना सहे। खुद भी सुरक्षित रहें और दूसरों को भी सुरक्षित रखें और बचाव की शुरुआत खुद से करें और सबको भी इसके लिए जागरूक करें।

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